श्री सालासर बालाजी मंदिर
भारत में श्री सालासर बालाजी भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक धार्मिक स्थल है। यह राजस्थान के चुरू जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 668 पर स्थित है, और साल भर असंख्य भक्तों को आकर्षित करता है। यह भारत में हनुमान जी का एकमात्र मंदिर है, जिसमें दाढ़ी और मूंछें हैं।
श्री सालासर बालाजी धाम मन्दिर की स्थापना
श्री सालासर बालाजी मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति स्थापित की गई थी। सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास मै हनुमान भगवान बड़े ही चमत्कारिक ढंग से यहां प्रकट हुए थे। इसके पीछे की कथा भी बड़ी रोचक है। घटना 1754 की है जब नागपुर जिले में असोटा गांव में एक जाट किसान अपना खेत जोत रहा था। तभी उसका हल किसी नुकीली पथरीली चीज से टकराया। उसने खोदा तो देखा कि यहां एक पत्थर था। उसने पत्थर को अपने अंगोछे से साफ किया तो देखा कि पत्थर पर बालाजी भगवान की छवि बनी है। उसी समय जाट की पत्नी खाना लेकर आई, तो उसने भी मूर्ति को अपनी साड़ी से साफ किया और दोनों दंपत्ति ने पत्थर को साक्षात नमन किया। तब किसान ने बाजरे के चूरमे का पहला भोग बालाजी को लगाया। सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास से लेकर अब तक सालासर बालाजी मंदिर में बाजरे के चूरमे का ही भोग लगाया जाता है।
मूर्ति के प्रकट होने की बात पूरे गांव के साथ गांव के ठाकुर तक पहुंच गई। एक रात असोटा के ठाकुर को सपने में बालाजी ने मूर्ति को सालासर ले जाने के लिए कहा। वहीं दूसरी तरफ सपने में हनुमान भक्त सालासर के महाराज मोहनदास को बताया कि जिस बैलगाड़ी से मूर्ति सालासर जाए, उसे कोई रोके नहीं। जहां बैलगाड़ी अपने आप रूक जाए, वहीं उनकी मूर्ति स्थापित कर दी जाए। सपने में मिले इन आदेशों के बाद भगवान सालासर बालाजी की मूर्ति को वर्तमान स्थान पर ही स्थापित कर दिया गया।
वहीं हनुमान जी के दाढ़ी मूछों वाली मूर्ति के पीछे भी दिलचस्प कहानी है। बताया जाता है कि सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास मै हनुमानजी ने पहली बार मोहनदास को दाढ़ी मूछों वाले भेष में ही दर्शन दिए थे तब मोहनदास ने बालाजी को इसी रूप में प्रकट होने की बात कही थी। यही वजह है कि यहां हनुमानजी की मूर्ति दाढ़ी और मूछों में स्थापित है। सालासर में कुंए हैं, माना जाता है कि इन कुओं का पानी बालाजी के आशीवार्द के कारण ही है।
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