हनुमान जी का नाम हनुमान कैसे पड़ा? Hanuman ji ka naam Hanuman kaise pada?
किंवदंती है कि एक बार जब हनुमान जी सूर्य देव को फल समझकर उसे खा गए थे तब सारी पृथ्वी अंधकारमय हो गई थी। सभी लोग और देवताओं में खलबली मच गई,देवराज इन्द्र ने अपने पार्शदों से पूछा तो पता चला कि सूर्य देव को हनुमान जी ने निगल लिया है और पूरी सृष्टि अंधकारमय हो गई है।तब देवराज इन्द्र ने अपने वज्र से होकर हनुमान जी को देख उन पर अपनें से प्रहार किया था और हनुमान जी का मुख पर लगने के कारण हनु मुंह का उपर वाला भाग टूट गया था। पवन देव को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने वहां अपना वायुमंडल में संचार बंद कर दिया जिससे सभी चराचर विचलित हो उठा और तब सबने इन्द्र को समझाया कि पवन देव रुष्ठ हो गये है कारण उनके पुत्र को इन्द्र के वज्र से घायल हो कर हनुमान जी मुर्छित पड़े हैं। देवराज इन्द्र ने हनुमान जी को ठीक कर उनके मुख के लिए आशीर्वाद दिया कि जिस वज्र से होकर आपका मुंह बिगड़ा हुआ है इसलिए यह तुम्हारे मान का प्रतीक माना जाएगा और आज से तुम हनुमान कहलाएंगे।
हनुमान जी का नाम पवनसुत क्यों पड़ा? Hanuman ji ka naam pavanasut kyon pada?
क्योंकि हनुमान जी के पिता का नाम पवन कुमार था इसलिए पवन और सुत का अर्थ होता है पुत्र इस प्रकार उनका नाम पड़ा पवन का पुत्र पवनसुत हनुमान
हनुमान जी के अनेक नाम क्या हैं? Hanuman ji ke naam
पवनपुत्र, मारुति, मरुतसुत, रामदूत, अंजनीपुत्र, अंजनिसुअन, केसरीनन्दन, समीरसुत, आंजनेय, शंकरसुअन, रामेष्ट, फाल्गुनसखा, अंजनिसूनु, वायुपुत्र, जनार्दन, पिंगाक्ष, अमितविक्रम, उदधिक्रमण, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता, दशग्रीवस्यदर्पहा ।
हनुमान जी को चोला क्यों चढ़ाया जाता है? Hanuman ji ko chola kyon chadhaya jata hai?
धर्म ग्रंथों के अनुसार मंगलवार के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था।हनुमान जी उन देवताओंमें शुमार है जो भक्तों पर बहुत जल्दी कृपा बरसाते हैं।
मंगलवार को हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुएं चढ़ाते हैं जैसे सिंदूर ,चमेली का तेल और चोला साथ ही उन्हें बूंदी ,बूंदी से बने लड्डू का भोग लगाया जाता है ।जिससे भगवान प्रसन्न हो भक्तों के संकट दूर करते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण क्यों किया था? Hanuman ji ne Panchmukhi roop dharan kyon kiya tha?
पाताल लोक के द्वार पर उन्हें उनका पुत्र मकरध्वज मिला और युद्ध में उसे हराने के बाद बंधक श्री राम और लक्ष्मण से मिले। वहां पांच दीपक उन्हें पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावन का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था।
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