कोटद्वार श्री सिद्धबली मंदिर
श्री सिद्धबली मंदिर Kotdwar Sidhbali Balaji उत्तराखण्ड पौड़ी गढ़वाल की खोह नदी के तट पर एक छोटी पहाड़ी पर स्थित, सिद्धबली मंदिर कोटद्वार में भगवान हनुमान का एक प्रसिद्ध मंदिर है। मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की इच्छा पूरी होती है।
श्री सिद्धबली बाबा Shree Sidhbali Baba के दर्शन को देश एवं विदेश से श्रद्धालु यहां उमड़ते हैं और मंदिर में मत्था टेककर मनोकामना मांगते हैं। बाबा अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। मुराद पूरी होने के बाद श्रद्धालु मंदिर में भंडारा कर भोग लगाते हैं।
कोटद्वार सिद्धबली धाम की मान्यता
खो नदी के किनारे बसा यह खूबसूरत बजरंगबली का धाम अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध है। भक्तों द्वारा सच्चे मन से माँगी गई मुराद यहाँ जरूर पूरी होती है। मनोकामना पूरी होने पर भक्त अपनी श्रद्धा व खुशी से बाबा के धाम में भण्ड़ारा करवाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि अगर आपको यहाँ भण्डारा करवाना है तो आपको 2027 तक का इंतजार करना होगा। क्योंकि तब तक भण्ड़ारे की तिथियाँ पहले ही बुक हो चुकी हैं। यूँ तो हर रोज ही बाबा के सिद्ध पीठ में भण्ड़ारा चलता रहता है पर विशेषकर मंगलवार, गुरूवार व शनिवार को भण्ड़ारा किया जाता है।
क्यों पड़ा स्थान का नाम पड़ा सिद्धबली?
कलयुग में शिव का अवतार माने जाने वाले गुरू गोरखनाथ को यहां पर सिद्धि प्राप्त हुई थी। जिस कारण उन्हें सिद्धबाबा कहा जाता है।
गोरख पुराण के अनुसार, गुरू गोरखनाथ के गुरू मछेंद्र नाथ हनुमान जी की आज्ञा से त्रिया राज्य की रानी मैनाकनी के साथ रह रहे थे। जब गुरू गोरखनाथ को इस बात का पता चला तो वे अपने गुरू को त्रिया राज्य के मुक्त कराने को चल पड़े।
मान्यता है कि यहां पर बजरंग बली ने रूप बदल कर गुरू गोरखनाथ का मार्ग रोक लिया। जिसके बाद दोनों में युद्ध हुआ। दोनों में से कोई भी एक-दूसरे को परास्त नहीं कर पाया, जिसके बाद बजरंग बली अपने वास्तविक रूप में आए और गुरू गोरखनाथ से वरदान मांगने को कहा। जिस पर गुरू गोरखनाथ ने हनुमान से यहां पर उनके प्रहरी के रूप में रहने की गुजारिश की। यह भी मान्यता है कि इस स्थान पर सिखों के गुरू गुरूनानक देव व एक मुस्लिम फकीर ने भी आराधना की थी।

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